सोनीपत: फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में तेजी से
बढ़ने वाला एक गंभीर रोग है, जिसकी शुरुआती पहचान अक्सर मुश्किल होती
है क्योंकि कई लक्षण बाद के चरणों में दिखाई देते हैं। फिर भी यदि कुछ शुरुआती
संकेतों को समय रहते पहचान लिया जाए, तो सही समय पर निदान और उपचार से बेहतर
परिणाम मिल सकते हैं। अगर आपकी खांसी लगातार आठ सप्ताह से अधिक बनी हुई है और
धीरे-धीरे बढ़ रही है, तो यह एक अहम चेतावनी हो सकती है।
खांसते समय खून आना भी ऐसा लक्षण है, जिसे कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अचानक वजन कम होना, भूख में कमी या लगातार थकान महसूस होना भी फेफड़ों के कैंसर का
संकेत हो सकता है। इसके अलावा सांस फूलना, पहले न होने वाली घरघराहट, छाती में लगातार या बढ़ता दर्द, बार-बार ब्रॉन्काइटिस या निमोनिया होना और
आवाज में भारीपन भी वे लक्षण हैं जिन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. कुमारदीप दत्ता चौधरी ने बताया कि “कुछ लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है, जैसे लंबे समय तक धूम्रपान करने वाले या पहले धूम्रपान छोड़
चुके लोग, सेकेंडहैंड स्मोक के संपर्क में आने वाले, एस्बेस्टस, रेडॉन या अन्य हानिकारक केमिकल्स के
संपर्क में रहने वाले, परिवार में फेफड़ों के कैंसर का इतिहास
रखने वाले या अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोग। रोकथाम के लिए सबसे
जरूरी कदम है धूम्रपान छोड़ना और सेकेंडहैंड स्मोक से दूरी बनाए रखना। संतुलित
आहार, नियमित व्यायाम और प्रदूषक तत्वों या कार्सिनोज़न के संपर्क से
बचना भी जोखिम कम करता है। उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए समय-समय पर चेक-अप और
स्क्रीनिंग बेहद जरूरी है, क्योंकि शुरुआती चरण में कैंसर का पता
चलने पर उपचार अधिक प्रभावी होता है।“
फेफड़ों का कैंसर गंभीर अवश्य है, लेकिन जागरूकता और समय रहते उठाए गए कदम आपकी सेहत की रक्षा कर सकते हैं। आज उपलब्ध आधुनिक उपचार—जैसे सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी—व्यक्ति की जरूरत के अनुसार मिलकर बेहतर परिणाम प्रदान करते हैं। इसलिए लक्षणों को अनदेखा न करें और नियमित स्वास्थ्य जांच को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।

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