सोनीपत: सर्दियों में सिर्फ हाथ-पैर ही नहीं जमते, ठंड का असर सीधे दिल पर भी पड़ता है। तापमान घटते ही दिल को शरीर को गर्म रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल पर अतिरिक्त दबाव बढ़ जाता है। यह मौसम खासकर उन लोगों के लिए जोखिम बढ़ाता है जिन्हें पहले से हार्ट डिज़ीज़, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ या कमजोर इम्युनिटी की समस्या होती है। इसलिए यह समझना जरूरी है कि ठंड दिल को कैसे प्रभावित करती है और कौन-सी छोटी-छोटी सावधानियाँ दिल की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।
ठंड के कारण ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं, जिससे दिल पर पंपिंग का दबाव बढ़ता है और छाती में भारीपन, सांस फूलना, थकान या अनियमित धड़कन जैसी परेशानियाँ बढ़ सकती हैं। उम्रदराज़ लोगों व दिल के मरीजों में यह असर और ज़्यादा दिखाई देता है, हालांकि ठंड का मौसम दिल की देखभाल सभी के लिए आवश्यक है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के कार्डियोलॉजी विभाग के वाइस चेयरमैन एवं एच.ओ.डी. डॉ. नवीन भामरी ने बताया कि “सर्दियों में खुद को सही तरीके से गर्म रखना बेहद ज़रूरी है। कपड़ों की लेयरिंग करें ताकि बीच की हवा इन्सुलेशन का काम कर सके। अंदर हल्का कॉटन और बाहर गर्म ऊनी कपड़े पहनें, साथ ही घर का तापमान 20–22 डिग्री के बीच रखें। सिर, पैर और हाथ ढककर रखें, क्योंकि सबसे ज्यादा गर्मी इन्हीं हिस्सों से बाहर निकलती है। खानपान भी दिल की सेहत को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस मौसम में शरीर को ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसलिए साबुत अनाज, दालें, फल, सब्जियाँ और प्रोटीन शामिल करें। अखरोट, अलसी के बीज और मछली जैसे ओमेगा-3 से भरपूर खाद्य पदार्थ रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाते हैं। भारी, तली-भुनी और ज्यादा नमक वाली चीज़ों से बचें। अगर भूख कम लगती है तो थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार खाएँ और गर्म सूप, खिचड़ी, पोरीज और हर्बल टी को प्राथमिकता दें।“
ठंड में प्यास कम लगती है, लेकिन शरीर में पानी की कमी से खून गाढ़ा हो जाता है, जिससे दिल पर और दबाव बढ़ सकता है। इसलिए पानी घूंट-घूंट कर पीते रहें, साथ ही सूप, नारियल पानी, गर्म हर्बल ड्रिंक्स का सेवन करें और कैफीन या अल्कोहल का अत्यधिक सेवन न करें।
सर्दियों में शारीरिक गतिविधियाँ अक्सर कम हो जाती हैं, लेकिन दिल को स्वस्थ रखने के लिए 20–30 मिनट की हल्की गतिविधि रोज़ ज़रूरी है। घर के अंदर वॉकिंग, योग, हल्की एक्सरसाइज़ या स्ट्रेचिंग करें और किसी भी गतिविधि से पहले वार्म-अप अवश्य करें। यदि चक्कर, छाती में भारीपन या सांस फूलने का अनुभव हो तो तुरंत रुक जाएँ।
डॉ. नवीन ने आगे बताया कि “इस मौसम में दवाइयों को नियमित रूप से लेना और डॉक्टर से समय-समय पर जाँच करवाना भी बेहद महत्वपूर्ण है। यदि छाती में दबाव, पैरों में सूजन, अचानक थकान या अनियमित धड़कन जैसे नए लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। अचानक सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, बेहोशी, चक्कर या होंठ-उंगलियों का नीला पड़ना—ये सभी चेतावनी के संकेत हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। घर के अंदर स्वस्थ वातावरण बनाए रखना भी दिल की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। रोज़ थोड़ी देर ताज़ी हवा आने दें, सूखी हवा से बचने के लिए ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें, हीटर के फिल्टर साफ़ रखें और धुएँ वाली जगहों से दूरी बनाए रखें। मानसिक स्वास्थ्य भी सर्दियों में प्रभावित होता है, इसलिए तनाव कम रखने, परिवार और दोस्तों से जुड़े रहने, रोज़ 10–20 मिनट धूप लेने और 7–8 घंटे की नींद का ध्यान रखना जरूरी है।“
यदि बाहर जाना पड़े तो दोपहर के समय निकलें, लेयर्ड कपड़े पहनें, नाक-मुँह को स्कार्फ से ढकें और अचानक भारी कार्य जैसे दौड़ना या वजन उठाने से बचें। फिसलन से बचने के लिए अच्छी पकड़ वाले जूते पहनें और फोन हमेशा साथ रखें।
कुल मिलाकर, सर्दियों में दिल की सुरक्षा सिर्फ गर्म रहने तक सीमित नहीं है, बल्कि जागरूक रहने, सही खानपान, नियमित गतिविधि, मानसिक संतुलन और समय पर चिकित्सा परामर्श से यह मौसम आरामदायक और सुरक्षित बनाया जा सकता है। छोटे-छोटे बदलाव आपका दिल पूरे मौसम स्वस्थ और सुरक्षित रख सकते हैं।

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