मैक्स वैशाली ने थोरैसिक समस्याओं वाले हल्द्वानी के चार मरीजों का किया सफल इलाज

मैक्स वैशाली ने थोरैसिक समस्याओं वाले हल्द्वानी के चार मरीजों का किया सफल इलाज
 

हल्द्वानी, 19 जून। रोबोटिक लंग सर्जरी के क्षेत्र में हाल में काफी प्रगति हुई है, जिसके बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली (गाजियाबाद) ने बुधवार को एक अवेयरनेस सेशन आयोजित किया।

इस दौरान थोरेसिक और फेफड़ों  से जुड़ी बीमारियों  के लिए  उपलब्ध  इलाज की जानकारी दी गई।

इस मौके पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में थोरेसिक व रोबोटिक सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर प्रमोज जिंदल के साथ हल्द्वानी के वो चार मरीज भी रहे, जिनका यहां सफल इलाज किया गया। इन मरीजों में 33 वर्षीय मोहसिन खान, 44 वर्षीय मनिल लाल वर्मा, 60 वर्षीय कृष्ण राम आर्य और 23 वर्षीय रोहित कुमार थे। 


इस बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर प्रमोज जिंदल ने बताया कि मोहसिन खान जब हमारे पास पहुंचे तब उन्हें 2 सप्ताह से बार-बार खून की खांसी (हीमोप्टाइसिस) की शिकायत हो रही थी। ज्यादा ब्लीडिंग के डर से वो शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से परेशान थे। सीटी स्कैन और जांच में सामने आया कि मरीज के दाहिने फेफड़े के निचले हिस्से में परेशानी है। इसके अलावा, हमने उनकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच की, लेकिन कोई बड़ा मामला नहीं पाया गया। इस तरह की बीमारी का इलाज करने के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प था जो उन्हें पूरी तरह ठीक कर सकता था। चेस्ट वॉल की वजह से सर्जरी और चुनौतीपूर्ण थी। हमने सफलतापूर्वक राइट लोअर लोबेक्टमी की और फेफड़ों के खराब हिस्से को पूरी तरह हटा दिया और इस सर्जरी के बाद मरीज के सभी लक्षण खत्म हो गए। अब वो सही हालत में हैं। 


अन्य दो मामलों की जानकारी देते हुए डॉक्टर जिंदल ने बताया कि 41 वर्षीय मनिल लाल वर्मा को प्लूरल मेसोथेलियोमा (लेफ्ट) नामक एक बीमारी का पता चला था, जहां कैंसर की एक मोटी परत फेफड़ों को कवर करती है। डॉक्टरों की टीम ने शुरू में तरल पदार्थ को बाहर निकालने के लिए उनके सीने में एक ट्यूब डालने का फैसला किया और इस कैंसर का डायग्नोज किया। यह एक बड़ी सर्जरी थी जिसमें पूरे फेफड़े के साथ-साथ इसके आवरण, दिल की कवरिंग (पेरीकार्डियम) और सांस की मांसपेशियों (डायाफ्राम) को हटा दिया गया। पूरी सर्जरी लगभग 7 घंटे तक चली। मरीज को अस्पताल में ठीक होने में लगभग 10 दिन लगे। बाद में कीमो और रेडियोथेरेपी भी करवाई गई। यह न केवल एक दुर्लभ बल्कि एक बहुत ही घातक ट्यूमर था और सर्जरी के बाद वो पूरी तरह ट्यूमर मुक्त हो गए

Close Menu