सीके
बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम के डॉक्टरों ने
सुनने की समस्या से
पीड़ित 5 साल के विदेशी
बच्चे का सफल इलाज
किया है। तुर्कमेनिस्तान के
इस बच्चे की टिम्पेनोप्लास्टी और
कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई और
सुनने की क्षमता को
बहाल किया गया। इस
बच्चे का दाहिना कान लंबे वक्त
से बहता रहा है।
साथ ही उसे सुनने
की भी समस्या थी।
इन दोनों समस्याओं के साथ बच्चा
सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम पहुंचा।
जांच
करने पर द्विपक्षीय ईयरड्रम
छिद्रों की पहचान की
गई। हाई रिज़ॉल्यूशन सीटी
स्कैन से दोनों तरफ
मास्टोडाइटिस का पता चला,
जिसमें दाईं तरफ ज्यादा
असर था। स्थिति गंभीर
थी और मरीज दूसरे
देश से यहां पहुंचा
था, लिहाजा तुरंत बेस्ट ट्रीटमेंट प्लान किया गया। सी.के. बिरला अस्पताल
गुरुग्राम में ईएनटी के
लीड कंसल्टेंट डॉ. अनिष गुप्ता
ने सर्जिकल विकल्पों के बारे में
बताया, ‘’ईयरड्रम में छेद होने
के चलते ये मामला
काफी चुनौतीपूर्ण था और इसमें कॉक्लियर
इम्प्लांट की आवश्यकता थी। इलाज
के दो विकल्प थे।
पहला यह कि टिम्पेनोप्लास्टी की जाए और फिर 6 महीने बाद कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की जाए। दूसरा विकल्प ये था किदोनों प्रक्रिया आगे पीछे की जाए, बच्चे की कंडीशन और समय की पाबंदी को देखते हुए दूसरा विकल्प चुना गया। इस केस की एक और चुनौती मोंडिनी विकृति थी। ये वो समस्या होती है, जहां कॉक्लिया (कान के अंदर का हिस्सा) में डेढ़ टर्न होते हैं, जबकि सामान्य कान में ढाई टर्न होते हैं। डॉ. गुप्ता ने कहा ऐसी स्थिति में सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूड (सीएसएफ) आने की उम्मीद की जाती है, जिससे रिस्क रहता है। जब इलेक्ट्रोड्स डालने के लिए कॉक्लिया में छेद किया जाता है तो दबाव में ब्रेन फ्लूड आने का डर रहता है। अगर इलेक्ट्रोड्स लगाने के बाद इसे अच्छे से सील न किया जाए तो ब्रेन में इंफेक्शन का खतरा रहता है, जिससे मेनिनजाइटिस होने का डर रहता है। अच्छे से इस सील को लगाना काफी क्रिटिकल था।
Social Plugin