Image courtesy: Oneindia (Hindi)
नई दिल्ली में हाल ही में सम्पन्न *कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 2025* की चौथे संस्करण में वैश्विक आर्थिक विशेषज्ञों और राजनेताओं ने भारत की विश्व अर्थव्यवस्था में बढ़ती भूमिका पर गहराई से विचार किया। इस सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि भारत न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित कर रहा है, बल्कि वह वैश्विक आर्थिक स्थिरता का एक मजबूत स्तंभ भी बनता जा रहा है।
ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य लॉर्ड करण बिलिमोरिया ने इस सम्मेलन की भावना और उसके महत्व की सराहना करते हुए कहा, “यह मेरा पहली बार कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में भाग लेना है और मैंने देखा कि यह मंच वैश्विक स्तर पर अर्थशास्त्रियों, व्यापारियों और राजनेताओं को जोड़कर बड़े मुद्दों को समझने और समाधान खोजने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। भारत की आर्थिक पृष्ठभूमि और उसके विकास अवसरों पर बातचीत बहुत प्रभावशाली रही।”
फ्रांस के बैंक ऑफ फ्रांस के मानद गवर्नर व पूर्व यूरोपीय सेंट्रल बैंक अध्यक्ष जीन-क्लाउड ट्रिचेट ने भारत के संविधान में निहित न्याय, सामाजिक और राजनीतिक सपनों के साकार होने में सतत आर्थिक विकास को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने न्याय व्यवस्था के सुधार की जरूरत पर ज़ोर देते हुए कहा, “यह केवल न्यायाधीशों के वेतन बढ़ाने की बात नहीं है, बल्कि निवेश से जुड़े जोखिमों को कम करने का एक तरीका है। एक मजबूत न्याय प्रबंधन व्यवस्था अरबों डॉलर की बचत कर सकती है और विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकती है।”
पेरिस में विज्ञान और राजनीति संस्थान (साइंसेज पो) के प्रोफेसर और बैंक डी फ्रांस के पूर्व डिप्टी गवर्नर जीन-पियरे लैंडौ ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में इस सम्मेलन में भारत की भागीदारी में एक स्पष्ट आत्मविश्वास देखा गया है। “भारत अब अपनी वैश्विक भूमिका को लेकर पहले से अधिक आत्मविश्वास से भरपूर है। वह न केवल धीरे-धीरे बल्कि आक्रामक तरीके से अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है।”
डिजिटल मुद्राओं को लेकर उनकी राय भी महत्वपूर्ण रही। लैंडौ ने कहा कि डिजिटल करेंसी अब वित्तीय सेवाओं से वंचित लोगों तक पहुँचने का एक प्रभावी माध्यम बन सकती है, जिससे सामाजिक वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन उन्होंने इसके साथ ही यह चेतावनी भी दी कि डिजिटल मुद्राओं की सफलता और सुरक्षा के लिए मजबूत सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की जरूरत है।
उन्होंने भारत की डिजिटल भुगतान प्रणालियों की विश्व स्तर पर प्रशंसा करते हुए कहा कि ये प्रणालियाँ एक वैश्विक मानक बन चुकी हैं, जिनसे अनेक विकसित और विकासशील देशों को सीखने की आवश्यकता है।
इस वक्त विश्व आर्थिक माहौल में अस्थिरताएं और अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं, जिस कारण निवेशकों के लिए स्थिरता और पूर्वानुमानशीलता बेहद अहम हो गई है। ऐसे दौर में, कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन जैसे आयोजन संवाद के लिए सुव्यवस्थित मंच प्रदान करते हैं, जहां विशेषज्ञ समस्याओं का समाधान तलाश सकते हैं और सुधार के रास्ते सुझा सकते हैं।
भारत की आर्थिक प्रगति में सुधारों की भूमिका को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि न्याय व्यवस्था, वित्तीय समावेशन, तकनीकी नवाचार और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में निरंतर सुधार से ही भारत विश्व आर्थिक मंच पर स्थिर और सम्मानित स्थान बनाएगा।
कुल मिलाकर, यह सम्मेलन भारत की वैश्विक आर्थिक साख को मजबूत करने के लिए आवश्यक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों का समर्थन करता है, जो विश्व स्तर पर देश की अपनी भूमिका को और भी प्रभावशाली बना सके।
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