Image courtesy: Jansatta
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल इन दिनों पूरे राज्य में गर्म है। चुनावी प्रचार, नेताओं की रैलियां, क्षेत्रीय मुद्दों और जनता की उम्मीदें हर जगह चर्चा का विषय बन गई हैं। 6 और 11 नवम्बर को 243 सीटों पर मतदान होना है, जिसकी वोट गिनती 14 नवम्बर को होगी। यह चुनाव न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से अहम है, बल्कि राज्य के सामाजिक, आर्थिक और युवा मुद्दों के समाधान की उम्मीदें भी इससे जुड़ी हैं।
चुनावी अभियान की रफ्तार
चुनाव प्रचार ने हाल ही में रफ्तार पकड़ी है। NDA, महागठबंधन और कई अन्य दल मैदान में डटे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा कई बड़े चुनावी सभाओं के जरिए राज्य में पहुंच चुके हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी मुजफ्फरपुर और दरभंगा से चुनावी अभियान शुरू किया है, जहां वे RJD नेता तेजस्वी यादव के साथ मंच साझा करते दिखे।
ओवैसी की AIMIM पार्टी सीमांचल इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है, जिससे वहां तीन तरफा मुकाबला नजर आ रहा है।
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उम्मीदवारों का समीकरण
बिहार के चुनाव में इस बार करीब 1300 प्रत्याशी मैदान में हैं। 32% उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं 40% उम्मीदवार करोड़पति हैं। महिलाओं की भागीदारी भी धीरे-धीरे बढ़ रही है, हालांकि संख्या अभी कम है।
उम्मीदवार कुल | महिला प्रत्याशी | करोड़पति उम्मीदवार | आपराधिक केस वाले |
|---|---|---|---|
| 1303 | 121 | 519 | 423 |
केंद्रीय मुद्दे
बिहार चुनाव में सबसे अहम मुद्दे इस बार भी बेरोजगारी, पलायन, अधूरी अधोसंरचना, और बाढ़ का संकट रहे हैं।
रोजगार और बेरोजगारी: बिहार के युवाओं में नौकरी की तलाश चुनावी विमर्श का केंद्र है। शहरी इलाकों में बेरोजगारी करीब 10.8% तक पहुंच गई है।
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पलायन: लगातार बेरोजगारी के चलते रोजाना हजारों लोग बिहार छोड़ कर दूसरे राज्यों में बड़ी उम्मीदें लेकर जाते हैं। राजनीतिक दल औद्योगिक विकास के जरिये इस संकट का समाधान देने का वादा कर रहे हैं।
अधोसंरचना: स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क व शहरी नियोजन में कमी हर बार लोगों की नाराजगी और चिंता का कारण बनती है।
बाढ़ और आपदा प्रबंधन: खासकर उत्तर बिहार में बार-बार आने वाली बाढ़ ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, और चुनावी घोषणा-पत्रों में स्थाई समाधान की मांग है।
जातीय गणना, आरक्षण, गवर्नेंस और भ्रष्टाचार जैसे बताए गए मुद्दे भी सदा की तरह प्रत्याशियों के भाषणों और बहसों का हिस्सा हैं।
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सामाजिक परिप्रेक्ष्य और जनता की सोच
अभी गांवों से लेकर कस्बों तक, सड़क किनारे चाय दुकानों से बड़े शहरों की मंडलियों में चुनाव चर्चा का माहौल बना हुआ है। अलग-अलग वर्गों के वोटर अपनी समस्याओं, विकास की आशा और शासन के तौर-तरीकों को लेकर बहस कर रहे हैं। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और जातीय संतुलन पर सबकी अलग-अलग राय है।
महिलाएं अपनी सुरक्षा, बच्चों की शिक्षा और परिवार की तरक्की को लेकर सवाल उठाती हैं। युवा सशक्तिकरण और सरकारी नौकरियों की मांग पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को राहत और पुनर्वास योजनाओं से अपेक्षा ज्यादा है।
राजनीतिक समीकरण
NDA गठबंधन में JDU, BJP, HAM, LJP, RLK जैसे दल शामिल हैं। वहीं महागठबंधन में RJD, कांग्रेस और वाम दल हैं। सीमांचल की सीटों पर AIMIM की चुनौती से मुकाबला रोचक हो गया है।
| प्रमुख गठबंधन | बड़ी पार्टियां |
|---|---|
| NDA | JDU, BJP, HAM, LJP, RLK |
| महागठबंधन | RJD, कांग्रेस, CPI, CPIM |
| अन्य | AIMIM |
निष्कर्ष:
बिहार चुनाव 2025 में जहां एक तरफ परंपरागत जातीय समीकरण प्रभावी हैं, वहीं युवाओं की शिक्षा और रोजगार की जज्बाती मांग राजनीति के केंद्र में है। नेताओं के भाषण, वादे और आम लोगों का विश्वास—सब मिलकर लोकतंत्र का असली रंग दिखा रहे हैं। जनता अभी तैयार है अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए, ताकि आने वाले वर्षों में उनके सपनों का बिहार तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ सके।
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