देहरादून: पीठ दर्द या रीढ़ से जुड़ी समस्याएं व्यक्ति के दैनिक जीवन, गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। जब ऐसे मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है, तो रोबोटिक स्पाइन सर्जरी एक क्रांतिकारी विकल्प बनकर सामने आती है। यह तकनीक बेहतर सटीकता, अधिक सुरक्षा और तेज़ रिकवरी प्रदान करती है, जिससे मरीज़ों को अधिक लाभ होता है।
ट्रेडिशनल स्पाइन सर्जरी की तुलना में, रोबोटिक तकनीक सर्जन को हर कदम पर अत्यधिक सटीकता के साथ सहायता प्रदान करती है। सर्जरी से पहले मरीज़ की रीढ़ की 3डी स्कैनिंग की जाती है, जिससे सर्जन पूरी प्रक्रिया की सटीक योजना बना सकते हैं। सर्जरी के दौरान, रोबोटिक आर्म और नेविगेशन सॉफ्टवेयर एक साथ मिलकर इम्प्लांट या स्क्रू की सटीक पोजिशनिंग करते हैं, जिससे आसपास के टिशूस को कम से कम नुकसान होता है।
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के ऑर्थो-स्पाइन सर्जरी विभाग के प्रमुख व प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. पुनीत गिरधर ने बताया “यह तकनीक बेहद सटीकता के साथ काम करती है, जिससे सर्जरी में ह्यूमन एरर की संभावना कम हो जाती है और इम्प्लांट्स ठीक उसी स्थान पर लगाए जाते हैं जहाँ उनकी आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया न्यूनतम इनवेसिव होती है, यानी इसमें छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिससे दर्द कम होता है, रक्तस्राव कम होता है और घाव जल्दी भरते हैं। चूंकि टिशूस को कम नुकसान होता है, मरीज़ जल्दी सामान्य गतिविधियों में लौट सकते हैं और अस्पताल में कम समय बिताना पड़ता है। सर्जरी के दौरान बेहतर नैविगेशन से नर्व इंजरी, हार्डवेयर की गलत पोजिशनिंग और इम्प्लांट फेल्योर जैसी जटिलताओं की संभावना काफी कम हो जाती है। उन्नत इमेजिंग और कंप्यूटर-आधारित योजना सर्जनों को हर मरीज की रीढ़ की संरचना और स्थिति के अनुसार सर्जरी को व्यक्तिगत रूप से अनुकूलित करने में मदद करती है।“
डॉ. गिरधर ने आगे बताया “वे मरीज जिनका पुराना पीठ दर्द दवाओं या फिजियोथेरेपी से ठीक नहीं होता, इस तकनीक से लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, स्कोलियोसिस, स्पाइनल स्टेनोसिस या डिजेनेरेटिव डिस्क डिज़ीज जैसी रीढ़ की विकृतियों से पीड़ित रोगी, जिन्हें स्पाइनल फ्यूजन या इम्प्लांट की आवश्यकता होती है, उनके लिए यह सर्जरी बेहद कारगर है। जिन रोगियों को वर्टिब्रल फ्रैक्चर हुआ है और उन्हें न्यूनतम इनवेसिव स्थिरीकरण की आवश्यकता है, उनके लिए भी यह तकनीक उपयुक्त है। साथ ही, जिन मरीजों को पहले स्पाइन सर्जरी हो चुकी है लेकिन अभी भी दर्द, सुन्नता या कमजोरी बनी हुई है, उनके लिए रिवीजन सर्जरी में यह तकनीक अधिक सटीक और सुरक्षित विकल्प बनकर सामने आती है।“
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