रोहतक। दिमागी स्वास्थ्य के लिहाज से ब्रेन ट्यूमर एक ऐसा नाम है जो अक्सर डर और चिंता पैदा कर देता है। इस शब्द का जिक्र होते ही लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि हर ब्रेन ट्यूमर खतरनाक नहीं होता। कई ट्यूमर इलाज योग्य और बेनाइन (गैर-कैंसरयुक्त) होते हैं। यदि हम इसके बारे में बुनियादी जानकारी रखें तो डर कम होता है और सह सही समय पर उचित निर्णय लेना आसान हो जाता है। जागरूकता और समय पर कार्रवाई से बड़े फर्क की संभावना होती है। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उसे ढकने वाले टिशूस में बनने वाला एक असामान्य सेल समूह होता है। ये ट्यूमर बेनाइन (गैर-कैंसरयुक्त) या मैलिग्नेंट (कैंसरयुक्त) हो सकते हैं। दोनों ही प्रकार के ट्यूमर मस्तिष्क के हिस्सों को दबाकर या उनके कार्य को प्रभावित कर लक्षण पैदा कर सकते हैं।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के न्यूरोसर्जरी विभाग के सीनियर डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ अनिल कुमार कंसल ने बताया कि हर ब्रेन ट्यूमर की पहचान अलग-अलग लक्षणों से होती है, जो ट्यूमर के स्थान, प्रकार और आकार पर निर्भर करते हैं। इसके कुछ सामान्य चेतावनी संकेतों में बार-बार या बढ़ते सिरदर्द, बिना पूर्व इतिहास के दौरे, धुंधली या दोहरी दृष्टि, बोलने या सुनने या सुनने में बदलाव, बिना कारण उल्टी या मतली, संतुलन या चलने में कठिनाई, अंगों में कमजोरी या सुन्नपन और स्मृति या व्यक्तित्व में बदलाव शामिल हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज न करते हुए समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है। यदि आप या आपके आसपास किसी व्यक्ति में ये लक्षण दिखाई दें, तो घबराएं नहीं, लेकिन देर किए बिना डॉक्टर से मिलें ताकि समय रहते जांच और इलाज हो सके। ब्रेन ट्यूमर मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित होते हैं।
प्राथमिक ट्यूमर, जो मस्तिष्क में ही उत्पन्न होते हैं जैसे मेनिंजियोमा, ग्लिओमा और पिट्यूटरी एडेनोमा, तथा द्वितीयक या मेटास्टेटिक ट्यूमर, जो शरीर के किसी अन्य हिस्से से मस्तिष्क में फैलते हैं। अधिकतर ब्रेन ट्यूमर बेनाइन होते हैं और शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलते, लेकिन यदि ये बड़े हो जाएं और मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों पर दबाव डालें, तो खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए चाहे ट्यूमर कैंसरयुक्त हो या नहीं, समय पर निदान और इलाज बेहद जरूरी होता है। ज्यादातर मामलों में इसका कोई निश्चित कारण नहीं होता। कुछ मामलों में यह आनुवंशिक कारणों से होता है। जीवनशैली, रेडिएशन एक्सपोजर और पर्यावरणीय कारण भी भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन अधिकांश लोगों में ब्रेन ट्यूमर अनायास ही होता है। मोबाइल फोन के उपयोग और ब्रेन ट्यूमर के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं पाया गया है।
डॉ. अनिल ने बताया कि "ब्रेन ट्यूमर का सही समय पर निदान बेहद आवश्यक होता है, क्योंकि जितनी जल्दी इसका पता चलता है, इलाज के बेहतर विकल्प मिलते हैं। डॉक्टर आमतौर पर एमआरआई या सीटी स्कैन, न्यूरोलॉजिकल परीक्षण, आवश्यकता अनुसार बायोप्सी और कुछ मामलों में ब्लड टेस्ट या जेनेटिक टेस्टिंग जैसी तकनीकों की मदद से ट्यूमर की पुष्टि करते हैं। इलाज की प्रक्रिया ट्यूमर के प्रकार, आकार, स्थान और मरीज की स्थिति पर निर्भर करती है। उपचार के विकल्पों में सर्जरी (यदि ट्यूमर हटाया जा सके), रेडिएशन थैरेपी (ऊर्जा किरणों से ट्यूमर को कम करना), कीमोथैरेपी (दवाओं से ट्यूमर कोशिकाओं को खत्म करना) और टार्गेटेड थैरेपी या इम्यूनोथैरेपी (शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से कैंसर कोशिकाओं पर हमला करना) शामिल हैं।"
आज की मॉनिटरिंग तकनीक, नई दवाएं और सहायक उपचार से मरीज लंबे और सामान्य जीवन जी सकते हैं। अगर सिरदर्द लंबे समय तक बना रहे, देखने या संतुलन में परेशानी हो, या कोई असामान्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखे, तो नजरअंदाज न करें। इसका मतलब यह नहीं कि आपको ब्रेन ट्यूमर है, लेकिन समय पर जांच आपको गंभीर स्थिति से बचा सकती है। ब्रेन ट्यूमर गंभीर होते हैं, लेकिन समय रहते पहचाने जाएं तो उनका इलाज संभव है। गलत जानकारी डर बढ़ा सकती है। सही जानकारी न केवल भय को कम करती है, बल्कि समझदारी भरे स्वास्थ्य निर्णय में मदद करती है और कई बार जीवन भी बचा सकती है।
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