अस्थमा की तकलीफ से राहत दिलाएगा सही मार्गदर्शन

 विश्व अस्थमा दिवस – 6 मई 2025 

अस्थमा की तकलीफ से राहत दिलाएगा सही मार्गदर्शन

पानीपत: अस्थमा एक पुरानी सूजन संबंधी फेफड़ों की बीमारी हैजिससे सांस लेने में कठिनाई होती है और यह व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है। जब श्वासनलिकाएं (वह नलिकाएं जो फेफड़ों में और बाहर हवा ले जाती हैं) सूज जाती हैंसंकरी हो जाती हैं या बलगम से भर जाती हैंतो व्यक्ति को खांसीघरघराहटसीने में जकड़न और सांस फूलने जैसी समस्याएं होती हैं। 


अस्थमा होने के पीछे आनुवंशिक और पर्यावरणीय दोनों तरह के कारण हो सकते हैं। यदि आपके परिवार में किसी को अस्थमा या एलर्जी की समस्या रही होतो आपके इसके शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावाजिन लोगों की श्वासनलिकाएं संवेदनशील होती हैं या जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ खास तरीकों से प्रतिक्रिया देती हैवे भी पर्यावरणीय कारकों के कारण अस्थमा से पीड़ित हो सकते हैं। 


मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालशालीमार बाग के पल्मोनोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. इंदर मोहन चुग ने बताया कि  “अस्थमा के लक्षण कई बार आपके आसपास मौजूद चीजों से और अधिक बिगड़ सकते हैं या अचानक शुरू हो सकते हैं। इसके सामान्य ट्रिगर हैं: धूलफफूंदीपरागकणपालतू जानवर (बिल्लीकुत्ते आदि)धुआंप्रदूषण और तेज़ गंधठंडी हवा या ठंडा खानाअत्यधिक शारीरिक परिश्रमसर्दी-जुकाम जैसी वायरल संक्रमणेंमानसिक तनाव या चिंता। अस्थमा के लक्षण कुछ लोगों में हल्के और कुछ में गंभीर हो सकते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं: सांस लेने में कठिनाईघरघराहट (सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज़)खांसी (विशेषकर रात में या सुबह जल्दी)सीने में जकड़न या भारीपन महसूस होना।“ 


यदि किसी व्यक्ति में ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देंतो डॉक्टर कुछ जांचों के माध्यम से इसकी पुष्टि करते हैं। स्पाइरोमेट्री या पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट्स (PFTs) से फेफड़ों की कार्यक्षमता की जांच की जाती है। छाती का एक्स-रे अन्य बीमारियों को नकारने में मदद करता है। रक्त जांच जैसे CBC या IgE स्तर एलर्जी या सूजन की जानकारी देते हैं। 


डॉ. चुग ने आगे बताया कि “अस्थमा का इलाज डॉक्टर की निगरानी में पूरी तरह संभव है और इसके नियंत्रण के लिए नियमित दवा सेवनइनहेलेशन थेरेपी और सही दिशा-निर्देशों का पालन आवश्यक है। इनहेलेशन थेरेपी सबसे प्रभावी तरीका है जिसमें दवा को इनहेलर या नेबुलाइज़र के माध्यम से सीधे फेफड़ों तक पहुंचाया जाता हैजिससे यह जल्दी असर करती है। इनहेलर दो प्रकार के होते हैं—रिलीवर इनहेलरजो आपात स्थिति में उपयोग होते हैंऔर कंट्रोलर इनहेलरजो रोज़ाना लक्षणों की रोकथाम के लिए लिए जाते हैं। इसके साथ हीडॉक्टर द्वारा तैयार किया गया अस्थमा एक्शन प्लान लक्षणों के प्रबंधन और आपात स्थिति से निपटने में मदद करता है। नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लेना और ज़रूरत पड़ने पर उपचार योजना को संशोधित करना भी बेहद जरूरी होता है।“  


अस्थमा की रोकथाम और आत्म-देखभाल के लिए जरूरी है कि व्यक्ति अपने ज्ञात ट्रिगर्स से यथासंभव दूरी बनाए रखे और डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएं नियमित रूप से लेचाहे लक्षण न भी हों। साथ हीलक्षणों और रिलीवर इनहेलर के उपयोग पर नजर रखना चाहिएसमय-समय पर चिकित्सा जांच करानी चाहिए और अपने अस्थमा एक्शन प्लान का पालन करते रहना चाहिए ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके और आपात स्थिति से बचा जा सके। 


अस्थमा के साथ जीवन जीना मुश्किल हो सकता हैलेकिन यह आपको अपने पसंदीदा काम करने से नहीं रोक सकता। यदि आप सही इलाज लेंइनहेलर का सही उपयोग करें और समझदारी भरी जीवनशैली अपनाएंतो आप स्वस्थ और सक्रिय रह सकते हैं।

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